दूर क्यों हो पास आओ जरा
देखो गगन से मिल रही धरा
कलियां खिल रही कितने जतन
से
चाँद की रौशनी से नहाओ जरा
धड़कनें खामोश हैं वक्त है
ठहर गया
जो नजरें मिली कदम रुक सा
गया
हठ बचपनों सा अब तो छोड़िए
मन का संबंध मन से जोड़िए
वक्त काफी हो गया ख़ामोशी तो
तोड़िए
व्रत मौन का खिलखिलाकर
तोड़िए