Sunday, 21 December 2014

कौन सी दस्तक


सूनुं कौन सी दस्तक
न जाने कितनी बार
कितने द्वारों पर
देता रहा दस्तक !

जन्म हुआ तो
माता-पिता ने दी
अस्पतालों,चिकित्सकों
के दरवाजों पर दस्तक !

काबिल हुआ अपने
क़दमों से चलने लायक
माता-पिता देते रहे
अंग्रेजी स्कूलों में दस्तक !

पर ! दस्तक मूक रही
पैसों की खनखनाहट नहीं
न हुआ दाखिला
व्यर्थ रहा दस्तक !

सरकारी स्कूलों से होकर
पहुंचा कालेजों में
अध्यापकों के दरवाजों पर
देता रहा दस्तक !

डिग्री हाथ लिए
चला बेरोजगारों के साथ
एक अदद नौकरी पाने
देता रहा दस्तक !

अब है वो समय
बैठे जिंदगी के कमरे में
आ रही तीन दिशाओं से
तीन द्वारों से दस्तक !

एक द्वार पर
दौलत की दस्तक
दूसरे पर ईमान
और सम्मान की दस्तक !

तीसरे द्वार पर
ठीक सामने की दिशा में
इस दुनियां से कहीं दूर
ले जाने वाली दस्तक !

दस्तकों की आहटों से
हूं असमंजस में
खोलूं कौन से द्वार
सुनूं कौन सी दस्तक !

    

14 comments:

  1. बहुत सुंदर ...

    ReplyDelete
  2. जीवन भी तो एक दस्तक है ... पर जब मौत आएगी दस्तक नहीं देगी ...

    ReplyDelete
  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-12-2014) को "कौन सी दस्तक" (चर्चा-1835) पर भी होगी।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद ! आ. शास्त्री जी. आभार.

      Delete
  4. जीवन के हर पढाव पर एक दस्तक देना पड़ता है ,कभी दरवाजा खुला है कभी नहीं ,यही है जिंदगी !
    : पेशावर का काण्ड

    ReplyDelete
  5. सुंदर, अभी तो वही खोलिये द्वार जहां जिंदगी दे रही है दस्तक।

    ReplyDelete
  6. आदमी उम्र भर दस्तकों के मकडजाल में फंसा रहता है...बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  7. दस्तक दे दी है आपने अब दिल की आवाज़ सुनें. सिंदर भावपूर्ण रचना.

    ReplyDelete
  8. सुंदर और भावपूर्ण

    ReplyDelete
  9. सुंदर, अभी तो वही खोलिये द्वार जहां जिंदगी दे रही है दस्तक। ये आदरणीय आशा जी की टिप्पणी है और मैं भी कुछ ऐसा ही सोचता हूँ की अभी तो जो दरवाजा खुला मिलता है वहीँ दस्तक दे दो ! जीवन के फलसफे को परिभाषित करते सार्थक शब्द

    ReplyDelete
  10. Bahut umda....Jiven me vakayi hoti hain ye dastakein...Bhawpurn

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...