Tuesday, 10 November 2015

पृष्ठ अतीत की




मत खोलो  
पृष्ठ अतीत की
अब भी बची है
गंध व्यतीत की

शब्द-शब्द बोले हैं
रंग-रस घोले हैं
पृष्ठ-पृष्ठ जिंदा है
पृष्ठ अतीत की

फड़फड़ा उठे पन्ने
झांकने लगे चित्र  
यादों के गलियारों से  
पलकें हुईं भींगी
मत खोलो  
पृष्ठ अतीत की

अब भी बची है
व्यथा व्यतीत की 
    

12 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति.

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  2. बेहतरीन प्रस्तुति,

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  3. क्या बात है !.....बेहद खूबसूरत रचना....
    आप को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
    नयी पोस्ट@आओ देखें मुहब्बत का सपना(एक प्यार भरा नगमा)

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  4. मत खोलो पृष्‍ठ अतीत की बहुत ही बेहतरीन रचना के रूप में प्रस्‍तुत हुई है।

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  5. बहुत सुंदर

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  6. मत खोलो
    पृष्ठ अतीत की

    अब भी बची है
    व्यथा व्यतीत की
    बहुत सुॆदर।

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  7. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....

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  8. व्यथा ही सही ... पर अतीत की यादें दिल को छु जाती भी हैं ...

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