तू सामने भी है मगर कहा
नहीं जाता
जब से दोस्ती पत्थरों से की मैंने
शीशे के मकां में मुझसे रहा नहीं जाता
जिंदगी जहर ही सही मगर पिया नहीं जाता
जीते थे पहले भी तेरे बिन अब रहा नहीं जाता
राहों में मिल गए तो समझा हमसफ़र तुझे
चल तो दिए मगर मंजिल नज़र नहीं आता
सुकूं की तलाश में कहाँ कहाँ ढूँढा तुझे
बेताब मेरा दिल मगर वहां
नहीं जाता
तू आ के थाम ले मेरे हाथों को
दर्दे दिल का मगर सहा
नहीं जाता
ले चल मुझे ख्वाबों के उस गाँव |
Monday, 17 February 2014
दर्द सहा नहीं जाता
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पत्थरों से दोस्ती हो तो शीशे की मकान में रहा भी कैसे जाए !
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल !
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत ही बेहतरीन गजल है राजीव जी..
ReplyDeleteबढियां...
:-)
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबेचैनी का आलम- सुंदर रचना.
ReplyDeleteबहुत खूब !!
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (18-02-2014) को "अक्ल का बंद हुआ दरवाज़ा" (चर्चा मंच-1527) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteअच्छा प्रयास!!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
ReplyDeleteजब से दोस्ती पत्थरों से की मैंने
ReplyDeleteशीशे के मकां में मुझसे रहा नहीं जाता
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति.....
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल है !
ReplyDeletelatest post प्रिया का एहसास
जब से दोस्ती पत्थरों से की मैंने
ReplyDeleteशीशे के मकां में मुझसे रहा नहीं जाता
ले चल मुझे ख्वाबों के उस गाँव
जुदाई का साया जहाँ नहीं जाता
ले चल मुझे सहारा देकर मेरे नाविक धीरे धीरे। ... बेहद सुन्दर गज़ल हर शैर काबिले दाद
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteजब से दोस्ती पत्थरों से की मैंने
ReplyDeleteशीशे के मकां में मुझसे रहा नहीं जाता
बहुत खूब
सुन्दर गजल !
बेहतरीन ग़ज़ल ......
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसुंदर ग़ज़ल
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत ही बेहतरीन गजल है राजीव जी,धन्यवाद.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! राजेंद्र जी. आभार.
Deleteराजीव भाई , बहुत ही सुंदर , धन्यवाद
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi
सादर धन्यवाद ! आशीष भाई. आभार.
Deleteजिंदगी जहर ही सही मगर पिया नहीं जाता
ReplyDeleteजीते थे पहले भी तेरे बिन अब रहा नहीं जाता ..
प्रेम जब हद से ज्यादा होता है ऐसा ही होता है ... हर शेर लाजवाब है इस गजाल का ...
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसादर धन्यवाद ! आभार.
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteले चल मुझे ख्वाबों के उस गाँव
जुदाई का साया जहाँ नहीं जाता
....................बेहतरीन गजल है राजीव जी..
सादर धन्यवाद ! आभार.
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ReplyDeleteले चल मुझे ख्वाबों के उस गाँव
जुदाई का साया जहाँ नहीं जाता
ले चल मुझे भुलावा देकर मेरे नाविक धीरे धीरे !सुन्दर अति सुन्दर बिम्ब।
सुंदर प्रस्तुति..!
ReplyDeleteजब से दोस्ती पत्थरों से की मैंने
ReplyDeleteशीशे के मकां में मुझसे रहा नहीं जाता
गज़ब के अल्फाज लिखे हैं आपने श्री राजीव जी
सुन्दर रचना!
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