दिल के जजबात
Very beautiful lines like the flowers.
Thanks ! Indrani ji.
बहुत सुन्दर :-)
राजीव भाई बहुत ही मनमोहक व खूबसूरत कृति , धन्यवादनया प्रकाशन -: कंप्यूटर है ! -तो ये मालूम ही होगा -भाग - २
सादर धन्यवाद ! आशीष भाई. आभार.
बहुत उम्दा कविता ......राजीव जी आभार
सादर धन्यवाद ! आभार.
Very very nice poem thanks
Thanks !
सुंदर कविता !
पलाश तो यादें ताज़ा कर देता अहि मधुमास की ...
sundar kavita
बहुत सुंदर....
सुंदर कविता ......
खिल गए पलाश के फूलमंगल कुमकुमकलश मधुरस बहुत सुन्दर रचना !
sundar rachna
वाहबेहद खूबसूरत अंदाजे बयाँ..
वाह !
बहुत खुबसूरत..रचना...
मालकौंश रागचटकदार पुष्पलिए सूर्ख सिंदूरी लाल ....वाह...बहुत ख़ूबसूरत शब्द चित्र...
bahut pyari rachnashubhkamnayen
वसंत की अगवानी को तत्पर खूबसूरत रचना आदरणीय राजीव जी
बहुत खूबसूरत रचना, बधाई.
सुन्दर रचना
सुन्दर मनोहर कोमल स्वर रूपकत्व लिए रूप सौंदर्य लिए।
बहुत खूब !
शुक्रिया आपकी निरंतर उपस्थिति का हृदय से आभार। बहुत सुन्दर रचना है यह।
वर्ष भर विस्मृतरहता अनजानपर अकस्मात्सुन पीहू पुकारमालकौंश रागचटकदार पुष्पलिए सूर्ख सिंदूरी लाल बेहद की सुन्दर रचना है भाई साहब वर्ष भर विस्मृतरहता अनजानपर अकस्मात्सुन पीहू पुकारमालकौंश रागचटकदार पुष्पलिए सूर्ख सिंदूरी लाल
Very beautiful lines like the flowers.
ReplyDeleteThanks ! Indrani ji.
Deleteबहुत सुन्दर :-)
ReplyDeleteराजीव भाई बहुत ही मनमोहक व खूबसूरत कृति , धन्यवाद
ReplyDeleteनया प्रकाशन -: कंप्यूटर है ! -तो ये मालूम ही होगा -भाग - २
सादर धन्यवाद ! आशीष भाई. आभार.
Deleteबहुत उम्दा कविता ......राजीव जी आभार
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
DeleteVery very nice poem thanks
ReplyDeleteThanks !
Deleteसुंदर कविता !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteपलाश तो यादें ताज़ा कर देता अहि मधुमास की ...
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deletesundar kavita
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत सुंदर....
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसादर धन्यवाद ! आभार.
ReplyDeleteसुंदर कविता ......
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteखिल गए
ReplyDeleteपलाश के फूल
मंगल कुमकुम
कलश मधुरस
बहुत सुन्दर रचना !
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deletesundar rachna
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत अंदाजे बयाँ..
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteवाह !
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत..रचना...
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteमालकौंश राग
ReplyDeleteचटकदार पुष्प
लिए सूर्ख
सिंदूरी लाल
....वाह...बहुत ख़ूबसूरत शब्द चित्र...
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deletebahut pyari rachna
ReplyDeleteshubhkamnayen
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteवसंत की अगवानी को तत्पर खूबसूरत रचना आदरणीय राजीव जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत खूबसूरत रचना, बधाई.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसुन्दर मनोहर कोमल स्वर रूपकत्व लिए रूप सौंदर्य लिए।
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteशुक्रिया आपकी निरंतर उपस्थिति का हृदय से आभार। बहुत सुन्दर रचना है यह।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteवर्ष भर विस्मृत
ReplyDeleteरहता अनजान
पर अकस्मात्
सुन पीहू पुकार
मालकौंश राग
चटकदार पुष्प
लिए सूर्ख
सिंदूरी लाल
बेहद की सुन्दर रचना है भाई साहब
वर्ष भर विस्मृतरहता अनजान
पर अकस्मात्
सुन पीहू पुकार
मालकौंश राग
चटकदार पुष्प
लिए सूर्ख
सिंदूरी लाल