गर तुमसे यूँ नहीं मिला
होता
कोई खटका दिल में नहीं हुआ
होता
तुम्हें भुलाने की लाख कोशिश की मैंने
गर मेरे दिल में नश्तर नहीं
चुभोया होता
दोस्ती-दुश्मनी में फर्क मिटा दिया तुमने
गर अहदे वफ़ा का सिला नहीं
दिया होता
रास्ते का पत्थर जो समझ लिया तुमने
गर ठोकर में न उड़ा दिया
होता
हर किसी पे एतबार नहीं करना ‘राजीव’ |
Thursday, 27 August 2015
यूँ नहीं मिला होता
Friday, 14 August 2015
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