गर तुमसे यूँ नहीं मिला
होता
कोई खटका दिल में नहीं हुआ
होता
तुम्हें भुलाने की लाख कोशिश की मैंने
गर मेरे दिल में नश्तर नहीं
चुभोया होता
दोस्ती-दुश्मनी में फर्क मिटा दिया तुमने
गर अहदे वफ़ा का सिला नहीं
दिया होता
रास्ते का पत्थर जो समझ लिया तुमने
गर ठोकर में न उड़ा दिया
होता
हर किसी पे एतबार नहीं करना ‘राजीव’ |
बढ़िया :)
ReplyDeleteसुन्दर रचना। सादर।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ :- भारत के राष्ट्रीय प्रतीक तथा चिन्ह
सादर आभार !
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - ऋषिकेश मुखर्जी और मुकेश में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद !
Deleteतुम्हें भुलाने की लाख कोशिश की मैंने
ReplyDeleteगर मेरे दिल में नश्तर नहीं चुभोया होता
दोस्ती-दुश्मनी में फर्क मिटा दिया तुमने
गर अहदे वफ़ा का सिला नहीं दिया होता
खूबसूरत अल्फ़ाज़ !!
bahut sundar
ReplyDeleteखूबसूरत अल्फाज।
ReplyDeleteबेहतरीन , बहुत खूब , बधाई अच्छी रचना के लिए
ReplyDeleteकभी इधर भी पधारें
wah...sundar rachna
ReplyDeleteबेहद सुन्दर गजल
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब और बेहतरीन ग़ज़ल है ...
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
ReplyDeleteसुंदर ग़ज़ल.
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द रचना
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in