Tuesday, 8 September 2015

दिन कितने हैं बीत गए



        

 दिन कितने हैं बीत गए
याद है वो हंसी-ठिठोली
करूं प्रतीक्षा बैठी कब से
साथ चलूंगी लाओ डोली |

दिन कितने हैं बीत गए
रुके नहीं हैं आंसू झरते
आज ह्रदय के दीपक जलते
आज मना लूं तुम संग होली |

दिन कितने हैं बीत गए
फिर ह्रदय में हलचल मचते
संभल नहीं पाता एकाकीपन
आज सुनूं जो प्रणय की बोली |

करूं प्रतीक्षा बैठी कब से
साथ चलूंगी लाओ डोली ||
                                                                                                              

16 comments:

  1. हृदयस्पर्शी रचना

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  2. दिन कितने हैं बीत गए
    रुके नहीं हैं आंसू झरते
    आज ह्रदय के दीपक जलते
    आज मना लूं तुम संग होली |
    शानदार अलफ़ाज़ !!

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, गंगा से सवाल पूछने वाला संगीतकार - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. दिन कितने हैं बीत गए याद है वो हंसी-ठिठोली
    करूं प्रतीक्षा बैठी कब से साथ चलूंगी लाओ डोली |
    विरह श्रृंगार की उत्तम रचना बन पड़ी है

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  5. बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .

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  6. बहुत प्‍यारी रचना

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  7. सुंदर प्रवाहमयी

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  8. बहुत सुंदर

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  9. बीते दिन की विरह कुछ करने को प्रेरित करती है ... मौन प्रेम का एहसास झलकता है हर छंद से ....

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  10. बेहद खूबसूरत दिल को छूता हुआ गीत ।

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  11. बढ़िया प्रस्तुति....

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  12. बढ़िया प्रस्तुति....

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