दिन कितने हैं बीत गए
याद है वो हंसी-ठिठोली
करूं प्रतीक्षा बैठी कब से
साथ चलूंगी लाओ डोली |
दिन कितने हैं बीत गए
रुके नहीं हैं आंसू झरते
आज ह्रदय के दीपक जलते
आज मना लूं तुम संग होली |
दिन कितने हैं बीत गए
फिर ह्रदय में हलचल मचते
संभल नहीं पाता एकाकीपन
आज सुनूं जो प्रणय की बोली |
करूं प्रतीक्षा बैठी कब से
साथ चलूंगी लाओ डोली ||
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Tuesday, 8 September 2015
दिन कितने हैं बीत गए
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बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी रचना
ReplyDeleteदिन कितने हैं बीत गए
ReplyDeleteरुके नहीं हैं आंसू झरते
आज ह्रदय के दीपक जलते
आज मना लूं तुम संग होली |
शानदार अलफ़ाज़ !!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, गंगा से सवाल पूछने वाला संगीतकार - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद !
Deleteदिन कितने हैं बीत गए याद है वो हंसी-ठिठोली
ReplyDeleteकरूं प्रतीक्षा बैठी कब से साथ चलूंगी लाओ डोली |
विरह श्रृंगार की उत्तम रचना बन पड़ी है
बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना
ReplyDeleteसुंदर प्रवाहमयी
ReplyDeleteBahut khoob!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबीते दिन की विरह कुछ करने को प्रेरित करती है ... मौन प्रेम का एहसास झलकता है हर छंद से ....
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत दिल को छूता हुआ गीत ।
ReplyDeleteBahut khoobsurat.
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति....
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति....
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