Monday, 10 February 2014

फागुन की धूप


आँगन में पसरी है 
फागुन की धूप
मौसम की महक हुई 
कितनी अनूप 

बिंब लगे बनने

कितने रंगों में 
उतरने लगी उमंग 
तन के अंगों में 

भर उठे आशा से 

मन के सब कूप 

बस गया यौवन 

पेड़ों की शाखों पर 
उतरा है पराग मस्त   
फूलों की शाखों पर 

आँखों में थिरकते

सपनों के सूप 

कांपते लबों पर 

मीठे संबोधन 
दौड़ गई नसनस में 
मीठी सिहरन 

चेहरे पर उतरा है 

सोने सा रूप  


41 comments:

  1. बस गया यौवन
    पेड़ों की शाखों पर
    उतरा है पराग मस्त
    फूलों की शाखों पर

    Sunder Chitran....

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  2. सुन्दर बहुत है प्रकृति का यह रूप
    और कविता भी !

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  3. फागुन माह की मस्ती, बहुत सुंदर रचना .

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  4. फागुनी धुप का बहुत सुन्दर चित्रण ||
    आशा

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  5. बहुत सुंदर रचना ....

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (11-02-2014) को "साथी व्यस्त हैं तो क्या हुआ?" (चर्चा मंच-1520) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  7. आपकी इस प्रस्तुति को आज की कड़ियाँ और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  8. बहुत बहुत पसन्द आयी यह कविता! प्रांजलता और भावाभिव्यक्ति कमाल की है! सम्पूर्ण दृश्य उपस्थित कर देती है पाठक के समक्ष!!

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  9. कई साड़ी स्मृतियों को जगा दिया आपने। बधाई।

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  10. धूप की उजास लिये यह गीत बहुत मधुर और प्रवाहयुक्त है ।

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  11. बहुत सुन्दर प्रकृति का यह रूप

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  12. फागुनी धूप का मनमोहक सुंदर चित्रण ....!!

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  13. बहुत सुंदर भाव। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं

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  14. आँगन में पसरी है
    फागुन की धूप
    मौसम की महक हुई
    कितनी अनूप

    बहुत खूबसूरत है

    कुदरत के रंग रूप।

    चेहरे पर उतरा है
    सोने सा रूप


    क्या बात है।

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  15. बस गया यौवन
    पेड़ों की शाखों पर
    उतरा है पराग मस्त
    फूलों की शाखों पर
    PURI RACHNA MEN PRAKRITI KI SINDARI RUP UBHAR KAR AAYAA HAI ...BAHUT SUNDAR

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  16. fagun ki dhoop
    bahut pyari lagi ye fagun ki dhoop.

    shubhkamnayen

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  17. सादर धन्यवाद ! आभार.

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  18. अति सुन्दर लिखा है..

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  19. बहुत सुन्दर है आँगन में पसरी धूप ऐसे ही इच खिली रहे। शुक्रिया हमें चर्चा मंच में लाने का।

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