आँगन में पसरी है फागुन की धूप मौसम की महक हुई कितनी अनूप बिंब लगे बनने कितने रंगों में उतरने लगी उमंग तन के अंगों में भर उठे आशा से मन के सब कूप बस गया यौवन पेड़ों की शाखों पर उतरा है पराग मस्त फूलों की शाखों पर आँखों में थिरकते सपनों के सूप कांपते लबों पर मीठे संबोधन दौड़ गई नसनस में मीठी सिहरन चेहरे पर उतरा है सोने सा रूप |
बस गया यौवन
ReplyDeleteपेड़ों की शाखों पर
उतरा है पराग मस्त
फूलों की शाखों पर
Sunder Chitran....
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसुन्दर बहुत है प्रकृति का यह रूप
ReplyDeleteऔर कविता भी !
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteफागुन माह की मस्ती, बहुत सुंदर रचना .
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसुंदर रचना !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteअति सुंदर...\\
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteफागुनी धुप का बहुत सुन्दर चित्रण ||
ReplyDeleteआशा
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत सुंदर रचना ....
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (11-02-2014) को "साथी व्यस्त हैं तो क्या हुआ?" (चर्चा मंच-1520) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteआपकी इस प्रस्तुति को आज की कड़ियाँ और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत बहुत पसन्द आयी यह कविता! प्रांजलता और भावाभिव्यक्ति कमाल की है! सम्पूर्ण दृश्य उपस्थित कर देती है पाठक के समक्ष!!
ReplyDeleteकई साड़ी स्मृतियों को जगा दिया आपने। बधाई।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteधूप की उजास लिये यह गीत बहुत मधुर और प्रवाहयुक्त है ।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत सुन्दर प्रकृति का यह रूप
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteफागुनी धूप का मनमोहक सुंदर चित्रण ....!!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत सुंदर भाव। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteप्रत्युत्तर देंहटाएं
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteआँगन में पसरी है
ReplyDeleteफागुन की धूप
मौसम की महक हुई
कितनी अनूप
बहुत खूबसूरत है
कुदरत के रंग रूप।
चेहरे पर उतरा है
सोने सा रूप
क्या बात है।
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबस गया यौवन
ReplyDeleteपेड़ों की शाखों पर
उतरा है पराग मस्त
फूलों की शाखों पर
PURI RACHNA MEN PRAKRITI KI SINDARI RUP UBHAR KAR AAYAA HAI ...BAHUT SUNDAR
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deletefagun ki dhoop
ReplyDeletebahut pyari lagi ye fagun ki dhoop.
shubhkamnayen
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deletesundar ...
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
ReplyDeleteअति सुन्दर लिखा है..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है आँगन में पसरी धूप ऐसे ही इच खिली रहे। शुक्रिया हमें चर्चा मंच में लाने का।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
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