Tuesday, 1 October 2013

पुरानी डायरी के फटे पन्ने











पुरानी डायरी के फटे पन्ने
अनायास आ जाते हैं सामने
बीती यादों को कुरेदती
दुःख - दर्द को सहेजती
बेरंग जिंदगी को दिखा जाते
पुरानी डायरी के फटे पन्ने

बीते लम्हों को भुलाना
गर होता इतना आसां
कागजों पर लिखे हर्फ़ को
मिटाना होता गर आसां

जिंदगी न होती इतनी बेरंग
इन्द्रधनुषी रंगों में मिल जाता
जीवन के विविध रंग
कुछ सुख के, कुछ दुःख के
जो बिताये तेरे संग  

23 comments:

  1. बीती यादों को भुलाना आसान नही होता मित्रवर,बहुत ही सुन्दर
    अभिव्यक्ति।

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    1. सादर धन्यवाद ! राजेंद्र जी. आभार .

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  2. वाह वाह राजीव झा जी, फाटे पन्ने पर ही तो मूंगफलिया खाई थी कभी हमने आपने ...
    मूंगफलिया कितनी मजेदार लगती है, जो ख़त्म हो जाने के बाद भी किसी कविता में भुला लेती है!

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    1. सादर धन्यवाद ! आ . जवाहर जी. आभार .

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !

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    1. सादर धन्यवाद ! जोशी जी. आभार .

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  4. बहुत सुंदर.

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  5. बहुत सुंदर जजबात .

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  6. बीती यादों को भूल पाना आसान नहीं होता..
    कोमल अहसास लिए भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
    :-)

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  7. सादर प्रणाम
    बहुत सुंदर कविता |
    सुंदर मनभावन एहसासों भरी |

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    1. सादर धन्यवाद ! अजय जी. आभार .

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 05/10/2013 को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 017 तेरी शक्ति है तुझी में निहित ..
    - पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

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  9. सुन्दर प्रस्तुति..

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    Replies
    1. सादर धन्यवाद ! संजय जी. आभार .

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