मेघ का मौसम झुका है
बादल के कोर पर
पलकों के छोर पर
एक आँसू सा रुका है
मेघ का मौसम झुका है
धानी चुनरिया है
धरती बावरिया है
अधरों में प्यार का
राज यह कैसा छुपा है
मेघ का मौसम झुका है
मेघ बरसे देह भीजे
हम फुहारों पे रीझे
इन्द्र के पहले धनुष का
बाण पलकों पर रुका है
मेघ का मौसम झुका है
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बहुत सुंदर !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
यह भी देखिये शायद -----
बाण पलकों पर टिका है-
/ रुका है
सादर धन्यवाद ! आ. रविकर जी. आभार. आपके निर्देशानुसार संशोधन हो गया है.
DeleteWell written Rajeev ji!
ReplyDeleteThanks ! indrani ji.
Deleteबेहद सुन्दर रचना राजीव जी।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! मनोज जी. आभार.
Deleteबाण पलकों पर रुका है
ReplyDeleteमेघ का मौसम झुका है
-----------------shandar :)
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत दुन्दर भाव ... आंसू की एक बूँद .. मन में तो मेघ का मौसम ले ही आती है ...
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteइस रचना की सभी पंक्तियाँ बेहद सुन्दर है
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteमेघ बरसे देह भीजे
ReplyDeleteहम फुहारों पे रीझे
इन्द्र के पहले धनुष का
बाण पलकों पर रुका है
मेघ का मौसम झुका है
बहुत खूब रागात्मक संसार है इस रचना का। आभार आपकी टिप्पणियों का।
सादर धन्यवाद ! आभार.
DeleteVery very nice
ReplyDeleteThanks !
Deleteबहुत सुंदर रचना !!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबादल की कोर पर
ReplyDeleteपलकों की छोर पर
एक आँसू सा रुका है
मेघ का मौसम झुका है
...वाह! अंतस को छूती बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteराजीव भाई , बहुत सुन्दर शब्दों से अलंकृत आपकी रचना , धन्यवाद
ReplyDeleteनया प्रकाशन --: प्रश्न ? उत्तर -- भाग - ६
" जै श्री हरि: "
सादर धन्यवाद ! आशीष भाई. आभार.
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार को (19-11-2013) मंगलवारीय चर्चामंच---१४३४ ओमप्रकाश वाल्मीकि को विनम्र श्रद्धांजलि में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर धन्यवाद ! आभार.
DeleteLajawab
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत सुन्दर रचना प्रस्तुति...
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteइस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :- 21/11/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक - 47 पर.
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत अच्छी रचना.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deletekhubsurat shabdon se sazi sundar rachna....
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसार्थक और सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteआशा
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteमेघ बरसे देह भीजे
ReplyDeleteहम फुहारों पे रीझे
इन्द्र के पहले धनुष का
बाण पलकों पर रुका है
मेघ का मौसम झुका है
बहुत खूब रागात्मक संसार है इस रचना का। आभार आपकी टिप्पणियों का।
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत सुन्दर रचना ..
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! नीरज जी. आभार.
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