छोटे छन्दों में रची प्यारी सी कविता... दोनों तरफ बराबर लगी आग कहूँ या दर्द का दर्द से मिलकर दवा बन जाना कहूँ... बस कुछ न कहा जाये तो शायद सब कहा जा सकेगा!!
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Beautiful Verses!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह ।
ReplyDeleteवाह..वाह..क्या बात है। बहुत खूब भाई साहब।
ReplyDeleteसादर आभार.
ReplyDeleteबहुत खूब ... रंजिशें कम होनी चाहियें ...
ReplyDeleteमज़ा आया ...
वाह वाह, बेहतरीन
ReplyDeleteख़ूबसूरत पंक्तियाँ, सुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteसुन्दर कविता . अंतिम पंक्तियों में 'रहा जाए' शायद 'रह जाए' होगा
ReplyDeleteसादर आभार. टाइपिंग की त्रुटि है.सुधार कर लिया गया है.
Deleteछोटे छन्दों में रची प्यारी सी कविता... दोनों तरफ बराबर लगी आग कहूँ या दर्द का दर्द से मिलकर दवा बन जाना कहूँ... बस कुछ न कहा जाये तो शायद सब कहा जा सकेगा!!
ReplyDeleteहक़ीक़त!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
आभार
अति उत्तम
ReplyDeleteअहसासों से लवरेज़ सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteरंजिश न बढ़ा
ReplyDeleteन रह जाए
हर मुलाकात
फासला बनकर
हर बार जीवन में यहीं होता हैं
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ReplyDeleteआज बहुत कोशिश करने पर भी कुछ नहीं लिख पाया। शायद अब लिखने के लिए बहुत कुछ हैं, बहुत कुछ में जो कुछ था लिखने के लिए वहीं कहीं खो गया हैं.
ReplyDeleteआखिरी कुछ पंक्तियां सच में सटीक और प्रभावी बन पड़ी हैं ! और जैसा आदरणीय दिगंबर जी ने कहा , रंजिशें कम होनी ही चाहिए ! बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह! बहुत सुंदर।
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