Sunday, 8 March 2015

खुशियों की बात हो



गम की नहीं
खुशियों की बात हो
अब उदासी नहीं
मुस्काने की बात हो

गिले शिकवे भूलने
दिलों को जोड़ने की बात हो
स्नेह और प्रेम की
अपनेपन की बात हो

दिल में चुभने वाली नहीं
सहलाने की बात हो
सतरंगे सपनों के आगोश में
खो जाने की बात हो  
    

16 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना ...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-03-2015) को "होली हो ली" { चर्चा अंक-1911 } पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-03-2015) को "मेरी कहानी,...आँखों में पानी" { चर्चा अंक-1912 } पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. बहुत सुन्दर रचना

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  5. बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...

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  6. ''अब उदासी नहीं मुस्काने की बात हो'' बहुत ही सुंदर रचना प्रस्‍तुत की है आपने। बहुत ही अच्‍छी लगी।

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  7. sundar khawaish chhoti si is jindgi me bhala ldai ki batten kyon ..

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  8. सुंदर कविता!

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  9. सकारात्मक भाव लिए सुन्दर रचना ...

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  10. कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति

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  11. How beautiful! Mast likha hai.... sweet and simple yet effective :)

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