भर गए आकाश
भूरे बादलों से
रात आलोकित हुई
अब बिजलियों से
खिड़कियों से आ रही
चंचल हवाएं
यादों के गलियारों से
झांकते
मनुहार वाले दिन
ओस में भींगे
क्यारियों में पुष्प
भ्रमरों को नए
संवाद देता
बूंद से बोझिल
सलोनी पत्तियां भी
हैं बजाती जा रही अब
पायलें रुनझुन
आ गए अब
मनुहार वाले दिन
डालियों पर
गूंजती हैं कोयलों के
अनवरत से स्वर
बादलों की ओट में
छुप रही चांदनी
मंद गति से
आ रही छनछन
आ गए अब
मनुहार वाले दिन
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Saturday, 4 April 2015
मनुहार वाले दिन
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बढ़िया ।
ReplyDeleteBahut Sunder
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ReplyDeleteआ गये अब मनुहार वाले दिन...
ReplyDeleteवाह...
बहुत खूब....!!
बादलों की ओट में
ReplyDeleteछुप रही चांदनी
मंद गति से
आ रही छनछन
आ गए अब
मनुहार वाले दिन
..बहुत बढ़िया
सादर आभार.
ReplyDeleteओस में भीगे ………
ReplyDeleteमनुहार वाले दिन।
भाव और भाषा की रुनझुन ,
सुन सुन गुन गुन
nice lines
ReplyDeleteLovely :)
ReplyDeleteडालियों पर
ReplyDeleteगूंजती हैं कोयलों के
अनवरत से स्वर
बादलों की ओट में
छुप रही चांदनी
मंद गति से
आ रही छनछन
आ गए अब
मनुहार वाले दिन
vaah bahut sundar manuhar vaale din !
कोयल के गीत और चांदनी का आभास ... मनुहार वाले दिन तो स्वत: ही आ जाते हैं ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बढियाँ रचना
ReplyDeleteये दिन उतने ही प्यारे हैं जितनी ये कविता।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteशानदार रचना....
ReplyDeleteबारिशो को बोछारो से सूंदर चंचल..
बहुत ख़ूब ....खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवा वाह …
ReplyDeleteबड़े आनंद दायक दिन …
मंगलकामनाएं आपको
सुप्रभात, इस सुंदर प्रस्तुति के लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं।
ReplyDeletegaanv me beeta bachpan yaad aa gaya...is bachpan wali muskurahat ke liye dhanyawaad aapko :-)
ReplyDeleteमनुहार वाले दिन बहुत ही बेहतरीन रचना। मुझे बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteबेहतरिन रचना
ReplyDeleteआ गए अब
ReplyDeleteमनुहार वाले दिन....बहुत...खूबसूरत
वाह क्या बात ह
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