तनहा कट
गया जिंदगी का सफ़र कई साल का
चंद अल्फाज कह भी डालिए मेरे हाल पर
मौसम है
बादलों की बरसात हो ही जाएगी
हंस पड़ी धूप तभी इस ख्याल पर
फिर
कहाँ मिलेंगे मरने के बाद हम
सोचते ही रहे सब इस सवाल पर
इन
रस्तों से होकर ख्वाबों में गुजरे
दिखे हैं सहरा चांद हर जर्रे पर
तेरा अक्स जो नजर आ जाए
दिखे है दूजा चांद नदी के दर्पण पर
आंखें
छलक जाती हैं निगाह मिलने पर
हश्र तो
ये है तुमसे इस मुलाकात पर
जरा गौर
फरमाईए ‘राजीव’ की बात पर
चांदनी रात का जिक्र क्यों न हो मुलाक़ात पर
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Saturday, 5 December 2015
तनहा सफ़र जिंदगी का
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आखिरी दो पंक्तियाँ लाजवाब हैं। बहुत बढ़िया। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteiwillrocknow.blogspot.in
आभार !
Deletebeautiful and soulful. It is ever pleasant to read poems in Hindi...they have a feeling of belongingness
ReplyDeleteThanks !
Deletebahut khoob, roomani kavita jo dil ke taar cho leti hai
ReplyDeleteधन्यवाद !
DeleteBahut sundar!
ReplyDeleteबढ़िया !
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteसादर आभार !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद !
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....
क्या बात है .............बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeletebahut sundar
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