फगुनाहट की आहट है पीले सरसों के गंध सुगंध से उल्लासित कर जाता है मन वसंत में बौराया है मन वन उपवन टेसू फूले वसंत के सज गए मेले बर्फीले सफ़ेद चादरों से ढँक जाता है तन मन वसंत में बौराया है मन नभ में विहग कलरव करते बूँद बूँद पत्तों से झरते मधुमय मधुमास सजाकर उमंग बढ़ा जाता है मन वसंत में बौराया है मन हरियाली से तन मन रीता रंग सुगंध से कौन अछूता सोंधी महक धरा से उठती खिल उठता है उपवन कानन वसंत में बौराया है मन |
वसंत पंचमी की अशेष शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बसंत के आगमन पर ...
ReplyDeleteशुभकामनायें ..
खूबसूरत रचना ..........वसन्त की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (25-01-2015) को "मुखर होती एक मूक वेदना" (चर्चा-1869) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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बसन्तपञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार ! आ. शास्त्री जी.
Deleteबहुत सुन्दर
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ReplyDeleteहरियाली से तन मन रीता
रंग सुगंध से कौन अछूता
सोंधी महक धरा से उठती
खिल उठता है उपवन कानन
वसंत में बौराया है मन
......बहुत खूबसूरत रचना ....
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteवसंत पंचमी
सुन्दर वासंतिक भाव
ReplyDeleteवासंती रंग लिए बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबसंत ऋतु के अवसर पर बहुत ही सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeletewaasanti kavita, man ko chhooti huee c.......
ReplyDeleteबसंत के स्वागत में हुए बसंती हुए शब्दों का जाल,मनमोहक कविता
ReplyDeleteअर्थ गर्भित बिंबप्रधान रचनाएँ हैं दोनों। बसंत में बौराया है मन ,वन उपवन तन खिल गया तुम्हारी खिलखिलाहट सा बनठन।
ReplyDeleteअर्थ गर्भित बिंबप्रधान रचनाएँ हैं दोनों। बसंत में बौराया है मन ,वन उपवन तन खिल गया तुम्हारी खिलखिलाहट सा बनठन।
ReplyDeleteवासंती रंग लिए बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteवाह वाह क्या बात है....। अतिसुंदर कविता। http://natkhatkahani.blogspot.com
ReplyDeleteआया वसंत आया वसंत, खिल गये फूल लद गई डाल।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति का आभार।
basant ke rang me dubi abhiwyakti....
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