एक और वर्ष बीत गया
जिंदगी का हिसाब-किताब लगाके रखना
क्या खोया,क्या पाया कुछ याद नहीं
उम्मीदों का चराग जलाये रखना
टिमटिमाते दिये को बुझा देते हैं हवा के झोंके
हथेलियों में लौ को छुपाये रखना
दूर कहीं गूंजी कोयल की कूक
अश्कों से दामन को भिंगोकर रखना
वक्त बड़ा बेरहम है नहीं सुनता फरियादें
बीती हुई यादों को सीने से लगाये रखना
खतो-किताबत का न रहा वो जमाना
पीले लिफाफों को किताबों में छुपाकर रखना
यादों के नश्तर दिल में चुभ जाये न कहीं
अपने जख्मों को सबसे छुपाकर रखना
भींगी आँखें बता देती हैं दिल के राज
हाले दिल सबसे न बयां करना
दिल के दरवाजे पे कोई दस्तक देता ही नहीं
अपने अरमानों को सुलगने से बचाए रखना
आँखों में संजोये सपने,दिल में बसाये अरमां
पूरा होने का सबब है,खुशियों को छिपाए रखना
अंतिम प्रहर होने को है,कारवां छूटा ‘राजीव’
यादों के उजाले को सीने से लगाये रखना |
Saturday, 3 January 2015
एक और वर्ष बीत गया
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सार्थक रचना
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी मिल रही है आपकी साईट से
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सुन्दर और सार्थक रचना। सच में एक वर्ष बीत गया और हम सबको पता भी नहीं चला। आपको सपरिवार नववर्ष 2015 की हार्दिक शुभकामनायें। सादर ... अभिनन्दन।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ :- इंटरनेट और हमारी हिन्दी
सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteआपको भी नव वर्ष की बहुत-बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!
सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (04-01-2015) को "एक और वर्ष बीत गया..." (चर्चा-1848) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
नव वर्ष-2015 की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर धन्यवाद ! आ. शास्त्री जी. आभार.
Deleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeleteउम्दा भाव और रचना |
ReplyDeleteSunder prastuti....gahre bhaaw...lajawaab...nav varsh ki shubhkamnaayein...badhayi
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत रचना !
ReplyDeleteभींगी आँखें बता देती हैं दिल के राज
ReplyDeleteहाले दिल सबसे न बयां करना..........बहुत सुंदर ।
बहुत सुन्दर
ReplyDelete"क्या खोया,क्या पाया कुछ याद नहीं
उम्मीदों का चराग जलाये रखना"
नया वर्ष मंगलमय हो.
अनिल साहू
हिंदी ब्लॉग
Beautiful poem Happy New Year to you!
ReplyDeleteएक और वर्ष बीत गया
ReplyDeleteजिंदगी का हिसाब-किताब लगाके रखना
सुंदर रचना..नये वर्ष के लिए हार्दिक शुभकामनायें !
टिमटिमाते दिये को बुझा देते हैं हवा के झोंके
ReplyDeleteहथेलियों में लौ को छुपाये रखना
बहुत सुन्दर , ये क्या एक तरफ आप इतनी सुन्दर बात कहते हैं ,दूसरी तरफ ये इतनी उदासी!
अंतिम प्रहर होने को है,कारवां छूटा ‘राजीव’
यादों के उजाले को सीने से लगाये रखना....
खतो-किताबत का न रहा वो जमाना
ReplyDeleteपीले लिफाफों को किताबों में छुपाकर रखना
यादों के नश्तर दिल में चुभ जाये न कहीं
अपने जख्मों को सबसे छुपाकर रखना
भींगी आँखें बता देती हैं दिल के राज
हाले दिल सबसे न बयां करना
स्वागत , आपके खूबसूरत शब्दों का श्री राजीव जी ! नववर्ष की मंगलकामनाएं
सुंदर भावाभिव्यक्ति...!
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