Thursday, 27 August 2015

यूँ नहीं मिला होता



गर तुमसे यूँ नहीं मिला होता
कोई खटका दिल में नहीं हुआ होता


तुम्हें भुलाने की लाख कोशिश की मैंने
गर मेरे दिल में नश्तर नहीं चुभोया होता


दोस्ती-दुश्मनी में फर्क मिटा दिया तुमने
गर अहदे वफ़ा का सिला नहीं दिया होता


रास्ते का पत्थर जो समझ लिया तुमने
गर ठोकर में न उड़ा दिया होता


हर किसी पे एतबार नहीं करना ‘राजीव’
गर हर मोड़ पर धोखा नहीं दिया होता 

   

Friday, 14 August 2015

झूठे सपने



झूठे सपने देखे क्यूं
ये तो टूट जाते हैं 
आज जिसे अपना कहेंगे
कल लोग भूल जाते हैं 

बंद हो जाए जब
जहां के दरवाजे
खामोश आवाजों की
दस्तक सुन पाते हैं 

मन में कुछ दिनों से
उठ रहा एक सवाल है
क्या इंसान इस तरह
जीता हर हाल है

यूं ही किसी तरह बस
गुजरा वक्त हर हाल है
उम्मीदों के पंख पर
तैरता साल दर साल है 
    

Saturday, 9 May 2015

इंसानियत दफ़न होती रही


                                   
                   मजहब के नाम पर लोग लड़ते रहे            इंसानियत रोज दफ़न होती रही

सजदे करते रहे अपने अपने ईश्वर के
सूनी कोख मां की उजड़ती रही

मूर्तियों पर बहती रही गंगा दूध की
दूध के बिना बचपन बिलखती रही

लगाकर दाग इंसान के माथे पर
हैवानियत इंसान को डसती रही

किस किस को कैसे जगाएं ‘राजीव’
  इंसानियत गहरी नींद में सोती रही    


                                     

Wednesday, 29 April 2015

तेरे रूप अनेक


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   इन्द्रधनुषी रंगों में रंगे
तेरे रूप अनेक
ताल,छंद,सुर हैं विविध
किंतु राग हैं एक

क्षितिज छोर तक उड़ रहा
सुरभित रम्य दुकूल
भाव भंगिमा में सदा
खिलते मधुमय फूल

हरपल रहा तुम्हारा चिंतन
कैसा मन का यह हाल
मोहपाश यह,प्रिये ! कौन सा
तुमने दिया ह्रदय पर डाल

भ्रमित हो रहा मन
चकित हुए हैं आज नयन
एक रूप बिंब अनेकों
महक रही है गुलशन-गुलशन  
                                                                                                                

Saturday, 11 April 2015

उन्मुक्त परिंदे


                                                                                 
कल की चिंता से मुक्त
आज के सुख में डूबे
परिंदों को नहीं परवाह
जिंदगी की कड़वाह्टों की

सूखे पत्तों को
हांक रही मंद हवा
मोहपाश में जकड़ी हुई
हलकी और भारहीन
रेशम के कपास सी
रेशा,रेशा,महीन
उड़ी जा रही
विस्तृत गगन में

सूखे दरख्तों के
अलसाये पत्ते
पीले,कत्थे,भूरे,मटमैले
रंगबिरंगे बूंदों से
बरस रहे
सिर पर
ज्यों महावर
कुछ ऐसे ही लम्हे
ज्यों यायावर ! 
                                                                                                               
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